NEELAM GUPTA

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खिलौने और बच्चे

      खिलौने और बच्चे।

आज है खिलौना मेला चलो चले देखने।
किसी कुम्हार के हाथ का जादू।
कैसे नीरसता दूर करता अपने।
बनाए मिट्टी के खिलौने की।

कला से अपनी चमकाता है ।
आँखे उसकी प्यारी प्यारी।
गुडिया गुड्डा की जोड़ी।
गर्दन हिलाए न्यारी न्यारी।

रंग बिरंगे रंग बिखेरेगे।
आज इस मेले में।
बच्चो की मुस्कान खिलेगी।
निकल मोबाइल के झमेले से।

होगी कदर फिर कला की।
काठी की मोटर गाड़ी।
बैटरी से जब चल निकली।
बच्चों की रेलगाड़ी।

टेड़ी बीयर लेकर आए।
भर बच्चे हाथों में।
कभी उसकी गोदी में सोए।
कभी उसे लोरी गाकर ख़ुद सुलाए।

एक दूजे के बिना अधुरे।
ऐसा मेल बच्चे और खिलौने का।
खिलौने बिना बच्चें उदास।
और बच्चों बिना उदास खिलौना।

नीलम गुप्ता 🌹🌹(नजरिया )🌹🌹
दिल्ली 

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5 Comments

बहुत ही सुंदर कविता लाजवाब लाजवाब

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Apeksha Mittal

19-Apr-2021 05:27 PM

बहुत अच्छी कविता मैम

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NEELAM GUPTA

18-May-2021 02:45 PM

धन्यवाद जी

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Alisha ansari

19-Apr-2021 03:30 PM

Bahut khoob

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NEELAM GUPTA

18-May-2021 02:45 PM

धन्यवाद जी

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